रामेश्वर धाम छर्रा के पीठाधीश्वर श्री रसरंग दास जी महाराज आध्यात्मिक संत है, कथा वाचक है। श्री रसरंग दास जी महाराज का जन्म सन 1980 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में हुआ था। महाराज श्री के पिता का नाम श्री जयंतीप्रसाद पाठक है। महराज श्री पिछले 20 वर्षो से सांसारिक जीवन को छोड़कर भगवान के प्रति समर्पित होकर संत जीवन मैं हैं। वर्तमान समय में महाराज श्री रामेश्वर धाम आश्रम, छर्रा अलीगढ़ में ध्यान मग्न रहते हैं। हालांकि भजन सत्संग और प्रवचन के लिए देश के कई राज्यो में आवागमन होता रहता है। महाराज श्री ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय से ही पूरी की। इसके बाद इन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई गुरुकुल से प्राप्त की । महाराज श्री ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ समय तक संस्कृत विद्यालय में अध्यापक के रूप में भी कार्य किया। महाराज श्री भगवद गीता और वेदों में कुशल ज्ञान रखते है। महाराज श्री स्कूल की पढ़ाई के साथ ही अपना अधिकतर समय भजन कीर्तन में बिताया करते थे। रामायण की चौपाइयां तो उनको बचपन से कंठस्थ थी। साल 1993 में महाराज श्री ने पहली बार अपनी मधुर आवाज में भजन गाया। महाराज श्री ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित देश में कई जगहों पर रामचरितमानस की कथा का वाचन किया है। लोगों को भगवान राम के प्रवचन दिए है भगवान श्री कृष्ण के बारे में बताया है। महाराज श्री कथा वाचक हैं । महाराज श्री अपना प्रोग्राम 3 से 7 दिन का रखते हैं जिसमे ये हिंदी और संस्कृति के साथ ही बृज भाषा का इस्तेमाल करते है। महाराज श्री बृज क्षेत्र से है इसलिए अपनी मातृ भाषा का प्रयोग अपने कथा के समय जरूर करते हैं।
महाराज श्री स्कूल की पढ़ाई के साथ ही अपना अधिकतर समय भजन कीर्तन में बिताया करते थे। रामायण की चौपाइयां तो उनको बचपन से कंठस्थ थी। साल 1993 में महाराज श्री ने पहली बार अपनी मधुर आवाज में भजन गाया। महाराज श्री ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित देश में कई जगहों पर रामचरितमानस की कथा का वाचन किया है। लोगों को भगवान राम के प्रवचन दिए है भगवान श्री कृष्ण के बारे में बताया है। महाराज श्री कथा वाचक हैं । महाराज श्री अपना प्रोग्राम 3 से 7 दिन का रखते हैं जिसमे ये हिंदी और संस्कृति के साथ ही बृज भाषा का इस्तेमाल करते है। महाराज श्री बृज क्षेत्र से है इसलिए अपनी मातृ भाषा का प्रयोग अपने कथा के समय जरूर करते हैं।