महाराज श्री रसरंग दास जी कहते है जीवन में प्रसन्नता बहुत जरूरी है आप खुश रहेंगे तो निरोगी रहेंगे। प्रसन्नता इंसानों में पाई जाने वाली भावनाओं में सबसे पॉजिटिव चीज है। प्रसन्नता एक आध्यात्मिक वृत्ति है ये एक दैवीय चेतना है। असलियत में प्रसन्नता का कोई रहस्य नहीं है। ये तो मन का एक भाव है। प्रसन्नता आपके जीवन का ऐसा अनमोल खजाना है। जिसे कितना लुटाएंगे आपके खजाने में इतनी बढ़ोत्तरी होती चली जाएगी। प्रसन्नता लुटाइए आपकी प्रसन्नता बढ़ती चली जाएगी। इंसानों का भलाई करना कर्त्तव्य नहीं बल्कि ये एक आनन्द है। और इस आनंद से प्रसन्नता पोषित होती है। सबको प्रसन्न करने की क्षमता सब में नहीं होती। प्रसन्नता आत्मा को शक्ति प्रदान करती है। आजमा कर देखिए अगर अपने प्रसन्नतापूर्वक कोई बोझ उठाया तो वो हल्का महसूस होता है। प्रसन्नता परम खोज है ये ऐसी चीज है जिसे सब हासिल करना चाहते है।
हम अपने आसपास देखते है। तो पाते है कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक खुश क्यों दिखते हैं। या फिर यू कहें कि कुछ लोगो के लिए खुद को पॉजिटिव रखना बहुत आसान होता है। हमारी लाइफ एक एक्सप्रेस की तरह है। जैसे जैसे टाइम बीतता है लाइफ की ट्रेन आगे बढ़ती है। हम सभी को पॉजिटिव और नेगेटिव एक्सपीरिएंस होते हैं। और हम उस पर अलग लग तरह से रिएक्ट भी करते है। महाराज श्री कहते है खुशी मन से हासिल होती है। कई बार हमारे आर्थिक हालत, हमारे पारिवारिक संबध सहित कई स्थितियां ऐसी होती है जिनके दवाब में हम प्रसन्नता से दूर हो जाते है। लेकिन प्रसन्नता का इनसे कोई लेना देना नही है। बल्कि ये तो मन की एक अवस्था है जिसे सही विकल्पों और दृष्टिकोण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। मन की प्रसन्नता ही व्यवहार में उदारता बन जाती है । महाराज श्री कहते है प्रसन्न रहना हमारा कर्तव्य है। हम प्रसन्न रहेंगे तो आपके आसपास भी इसका असर पड़ेगा। जिदंगी बेहतर तब होती है जब आप खुश होते है और जिंदगी बेहतरीन तब होती है, जब आपकी वजह से लोग खुश होते है। प्रसन्नता और शोक मन की स्थितियां हैं। और मन को वश में रखना इंसान के हाथ में है। जो क्षण प्रसन्नता प्रदान करते हैं वो हमें बुद्धिमान भी बनाते है। दूसरों को प्रसन्न रखने की कला प्रसन्न होने में है। प्रसन्नता से अच्छा स्वास्थ्य मिलेगा और उदासी से रोग। इसलिए प्रसन्न रहना सीखिए। जो व्यक्ति खुश रहता है उसमे क्रिएटिविटी होती है । प्रसन्नता बॉडी और माइंड दोनों की दोस्त है। जन्म और मृत्यु का कोई इलाज नहीं है। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हम बीच के समय को खुशी से गुजार सकें । अगर हम खुश हैं तो सारी प्रकृति ही हमारे साथ मुस्कराती दिखाई होती है। प्रसन्नचित्त इंसान हर माहौल में सबको उत्साहित करते हैं। जो बड़ों की सेवा नहीं करते , वे जीवन में सुखी नहीं रहते। मुस्कान से सजे चेहरे द्वारा किया गया स्वागत जलपान और भोज के बराबर होता है। मन की प्रसन्नता से तुम अपने तमाम मानसिक व शारीरिक रोग दूर कर सकते हो। आप कितने आस्तिक हैं और कितने आध्यात्मिक, इसका पता आपके खिलखिलाते चेहरे और प्रसन्नता भरी आँखों की चमक से चलता है। दुनिया में प्रसन्न रहने का एक ही उपाय है बस अपनी जरूरत कम करो। खुलकर हँसना मुस्कराना और खुश रहना एक तरह की दवा है । जो इंसान खुश रहता है वो अपने कर्म में असफल नहीं होता। चित्त के प्रसन्न रहने से सब दुःख खत्म हो जाते हैं । जिसे प्रसन्नता प्राप्त हो जाती है , उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है।